हनुमान जयंती व हनुमान जी की सम्पूर्ण जानकारी
भगवान हनुमान जी का जन्मोत्सव
हनुमान जन्मोत्सव एक हिन्दू पर्व है। यह चैत्र माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस दिन हनुमानजी का जन्म हुआ था और वे चिरंजीवी है मतलब त्रेता युग से अभी तक जीवित है और श्री राम जी का नाम जाप कर रहे हैं। हनुमान जी के जन्मदिन को हनुमान जयंती कहा जाता है, कुछ जगहों पर भ्रामक जानकारी दी जाती है कि है कि जयंती उसकी मनाई जाती है , जिसकी मृत्यु हो चुकी है (जो निराधार और असत्य है जयंती का जीवित या मृत से कोई संबंध नहीं है) परंतु हनुमान जी अमर है , युगों -युगों से जीते आ रहे है । इसीलिए आप सभी से निवेदन है कि हनुमान जी के जन्म दिन को हनुमान जयंती कहें। हनुमान जी को कलयुग में सबसे प्रभावशाली देवताओं में से एक माना जाता है । हनुमान जयंती का पर्व नेपाल व भारत में मनाया जाता है । इस दिन हनुमान जी की उपासना करने से सभी की मनोकामनाएं पूर्ण होती है। जय बजरंग बली
जय श्री राम
माता अंजनी की गोद में बैठे हनुमान की पल्लव कालीन कांस्य प्रतिमा
विष्णु जी के राम अवतार के बाद रावण को दिव्य शक्ति प्रदान हो गई। जिससे रावण ने अपनी मोक्ष प्राप्ति हेतु शिवजी से वरदान माँगा की उन्हें मोक्ष प्रदान करने हेतु कोई उपाय बताए। तब शिवजी ने राम के हाथों मोक्ष प्रदान करने के लिए लीला रचि। शिवजी की लीला के अनुसार उन्होंने हनुमान के रूप में जन्म लिया ताकि रावण को मोक्ष दिलवा सके। इस कार्य में रामजी का साथ देने हेतु स्वयं शिवजी के अवतार हनुमान जी आये थे, जो की सदा के लिए अमर हो गए। रावण के वरदान के अनुसार उन्हे मृत्यु के साथ साथ उसे मोक्ष भी दिलवाया।
कार्यक्रम
हनुमान जन्मोत्सव को लोग हनुमान मन्दिर में दर्शन हेतु जाते है। कुछ लोग व्रत भी धारण कर बड़ी उत्सुकता और ऊर्जा के साथ समर्पित होकर इनकी पूजा करते है। अतः यह कहा जाता है कि ये बाल ब्रह्मचारी थे अतः इन्हे जनेऊ भी पहनाई जाती है। हनुमानजी की मूर्तियों पर सिन्दूर और चाँदी का वर्क चढ़ाने की परम्परा है। कहा जाता है राम की लम्बी आयु के लिए एक बार हनुमान जी अपने पूरे शरीर पर सिन्दूर चढ़ा लिया था और इसी कारण उन्हें और उनके भक्तो को सिन्दूर चढ़ाना बहुत अच्छा लगता है जिसे चोला कहते है। संध्या के समय दक्षिण मुखी हनुमान मूर्ति के सामने शुद्ध होकर मन्त्र जाप करने को अत्यन्त महत्त्व दिया जाता है। हनुमान जन्मोत्सव पर रामचरितमानस के सुन्दरकाण्ड पाठ को पढना भी हनुमानजी को प्रसन्न करता है। सभी मन्दिरो में इस दिन तुलसीदास कृत रामचरितमानस एवं हनुमान चालीसा का पाठ होता है। स्थान स्थान पर भण्डारे आयोजित किये जाते है। तमिलानाडु व केरल में हनुमान जन्मोत्सव मार्गशीर्ष माह की अमावस्या को तथा उड़ीसा में वैशाख महीने के पहले दिन मनाई जाती है। वहीं कर्नाटक व आन्ध्र प्रदेश में चैत्र पूर्णिमा से लेकर वैशाख महीने के 10वें दिन तक यह त्योहार मनाया जाता है। लोगों की ऐसी मान्यताएं हैं कि जब कभी भी इस धरातल पर लोगों के ऊपर कोई संकट आता है तो उन्होंने संकटमोचन को याद किया.कोरोना काल में जब पूरे देश में हाहाकार मचा हुआ था तो इस लोग भगवान से अनुनय विनय और प्रार्थना कर रहें थे कि "हे ईश्वर आप हमें इस त्रासदी से उबारो अब आपका ही सहारा है।"जब मनुष्य को संकट काल में सभी रास्ते बंद हो जाते हैं तो वह केवल उस परमपिता परमेश्वर को ही याद करता है जो संकट के इस काल में नास्तिक को भी आस्तिक बना देता है. कोरोना काल में लोगों ने संकट मोचन हनुमान को भी याद किया
आध्यात्मिक गुरु
लोक मान्यताओं के अनुसार सूर्य देव को हनुमान जी का गुरु माना गया है, परन्तु सच्चाई यह है ऋषि मनिन्दर जी उनके वास्तविक गुरु हैं जो त्रेता युग में हनुमान जी को तब मिले थे जब वह लंका से माता सीता की खोज कर वापस लौट रहे थे।
हनुमान जयंती के अवसर पर दर्शनार्थी
सामूहिक हनुमान चालीसा पाठ
हनुमान का नामकरण
इन्द्र के वज्र से हनुमानजी की ठुड्डी (संस्कृत में हनु) टूट गई थी। इसलिये उनको हनुमान का नाम दिया गया। इसके अतिरिक्त ये अनेक नामों से प्रसिद्ध है जैसे बजरंग बली, मारुति, अञ्जनि सुत, पवनपुत्र, संकटमोचन, केसरीनन्दन, महावीर, कपीश, शङ्कर सुवन आदि।
संकट मोचन हनुमान मंदिर हिन्दू भगवान हनुमान के पवित्र मंदिरों में से एक हैं। यह वाराणसी, उत्तर प्रदेश, भारत में स्थित है। यह बनारस हिंदू विश्वविद्यालय कॆ नजदीक दुर्गा मंदिर और नयॆ विश्वनाथ मंदिर के रास्ते में स्थित हैं। संकट मोचन का अर्थ है परेशानियों अथवा दुखों को हरने वाला। इस मंदिर की रचना बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के स्थापक श्री मदन मोहन मालवीय जी द्वारा १९०० ई० में हुई थी। यहाँ हनुमान जयंती बड़े धूमधाम से मनायी जाती है, इस दौरान एक विशेष शोभा यात्रा निकाली जाती है जो दुर्गाकुंड से सटे ऐतिहासिक दुर्गा मंदिर से लेकर संकट मोचन तक चलायी जाती है। भगवान हनुमान को प्रसाद के रूप में शुद्ध घी के बेसन के लड्डू चढ़ाये जाते हैं। भगवान हनुमान के गले में गेंदे ऐवं तुलसी की माला सुशोभित रहती हैं। इस मंदिर की एक अद्भुत विशेषता यह हैं कि भगवान हनुमान की मूर्ति की स्थापना इस प्रकार हुई हैं कि वह भगवान राम की ओर ही देख रहे हैं,ऐवं श्री राम चन्द्र जी के ठीक सीध में संकट मोचन महराज का विग्रह है, जिनकी वे निःस्वार्थ श्रद्धा से पूजा किया करते थे। भगवान हनुमान की मूर्ति की विशेषता यह भी है कि मूर्ति मिट्टी की बनी है।संकट मोचन महराज कि मूर्ति के हृदय के ठीक सीध में श्री राम लला की मूर्ति विद्यमान है, ऐसा प्रतीत होता है संकट मोचन महराज के हृदय में श्री राम सीता जी विराज मान है। मंदिर के प्रांगण में एक अति प्राचीन कूआँ जो संत तुलसीदास जी के समय का कहा जाता है, श्रद्धालु इस कूप का शीतल जल ग्रहण करते हैं । यहाँ विस्तृत क्षेत्र में तुलसी के पौधों को लगाया गया है साथ ही आस पास पुराने रास्ते पर अनेक वृक्ष लगाने के साथ स्वक्षता का ध्यान रखा गया है जिसके कारण विषाक्त सर्पों से भय मुक्त वातावरण तैयार हुआ है |
जब तक बताया न गया
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