||श्री मदभगवदगीता ||। ( पार्ट 1 )
नमस्कार दोस्तों कैसे हैं आप सभी उम्मीद है ठीक होंगे ।
दोस्तो आज हम आपके लिए लाए है भगवदगीता के उपदेश आपको काफी पसंद आने वाला है क्यूंकि हम इसमें से आपको सिर्फ वही बताएंगे जो आपकी लाइफ में कुछ काम आ सके कुछ आप भी भगवदगीता के बारे में जानकारी रखो ताकि कल को कोई आपको यह न कह सके की आपको कुछ मालूम नही और इसी बहाने आप भगवान को भी याद कर लेंगे जो आपको काफी खुशी देगा तो चलिए शुरू करते है
भगवदगीता में भगवान श्री कृष्ण जी ने कहा है
सभी मानव ईश्वर की संतान है ।
सुखरहित , क्षणभंगुर , किंतु दुर्लभ मानव तन को पाकर मेरा भजन कर अर्थात भजन का अधिकार मनुष्य शरीरधारी को है ।
मनुष्य केवल दो प्रकार के है देवता और असुर ।
जिसके ह्रदय में देवी सम्पत्ति कार्य करती है वह देवता है तथा जिसके ह्रदय में आसुरी सम्पति कार्य करती है वह असुर है । तीसरा कोई अन्य जाति सृष्टि में नही है ।
मुझे भजकर लोग स्वर्ग तक की कामना करते है ; मैं उन्हें देता हु ।
अर्थात सब कुछ एक परमात्मा से सुलभ है ।
सम्पूर्ण पापियों से अधिक पाप करने वाला भी ज्ञानरुपी नौका द्वारा निसंदेह पार हो जायेगा ।
आत्मा के आधिपत्य में आचरण , तत्त्व के अर्थरूप मुझ परमात्मा का प्रत्यक्ष दर्शन ज्ञान है और इसके अतिरिक्त जो कुछ भी है , अज्ञान है ।
अतः ईश्वर की प्रत्यक्ष जानकारी ही ज्ञान है ।
दोस्तो कैसी लगी आपको यह जानकारी हमे उम्मीद है आपको पसंद आई होगी दोस्तो इसे ज्यादा से ज्यादा शेयर करे और हमारे चैनल को फॉलो करे भगवान श्री कृष्ण सभी को ज्ञान दे और मार्गदर्शन करे 🙏
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