खुद को हीरा बनाना है तो घिसना तो पड़ेगा


मेरी अजीज एक दोस्त थीं , जो कास्टिंग डायरेक्टर भी रहीं  उन्हीं ने मुझे ड्रामा स्कूल में काफी कुछ सिखाया था , उनका तरीका आक्रामक था , लेकिन वे बहुत ध्यान रखनी वाली भी थीं  जब वो नहीं रहीं तो मैं उन्हें कांधा देने गया था वहां मेरी मुलाकात बारबरा ब्रोकली से हुई । बारबरा बॉन्ड फिल्मों की निर्माता हैं वो मुझसे आगे होकर मिलीं मैं यह बात भूल भी गया  लगभग छह महीने बाद उनका मुझे कॉल आया कि क्या हम कॉफी पर मिल सकते हैं मैंने उन्हें हां कह दिया  जब हम मिले तो उन्होंने सीधे कहा- क्या तुम अगले जेम्स बॉन्ड बनना चाहोगे ? मेरे भाव ऐसे थे जैसे मेरे साथ कोई मजाक हो रहा है ... मैंने उसी लहजे मैं खुद से सवाल किया .... मैं ही क्यों ? मैंने उनसे कहा कि मैंने कभी किसी इंटरनेशनल स्क्रिप्ट पर काम करने पर विचार नहीं किया उन्होंने ' कसीनो रॉयाल ' की पटकथा मुझे दी जिसे दस मिनट में मैंने समझा और उसके लिए तैयार हो गया । बाद में मैंने सोचा कि आखिर मैं बॉन्ड बनने से हिचक क्यों रहा था  दरअसल मैं नकल करने से डर रहा था मैं इस फिल्म में पियर्स ( ब्रॉसनन ) नहीं बन सकता था ना ही शॉन ( कॉनरी ) दिख सकता था मैं यहां केवल वही करना चाहता था जो मैं हूं जैसे ही मैंने ' कसीनो रॉयाल ' की स्क्रिप्ट पढ़ी , मुझे समझ में आ गया कि मैं इसे कैसे निभाऊंगा और मैंने हामी भर दी  नकल आपको सीमित कर देती है , इससे हमेशा बचकर रहना चाहिए इसके बाद भी कुछ ही लोगों को आपकी खूबियां पता होती हैं इस चिंता को मैं काफी पहले छोड़ चुका हूं कि लोग मुझे हमेशा यूं ही चाहते रहें  मैंने करीब सालभर लिया खुद को तैयार करने में बारबरा ने इंतजार किया ... और मैं उनका शुक्रगुजार हूं मुझे पता था कि इसके बाद मेरी दुनिया बदलने वाली है । इसकी तैयारी में कोई कोताही नहीं बरती जब पूरी तरह तैयार हुआ तब ही काम शुरू किया तैयारी हड़बड़ी में नहीं हो सकती थी तैयारी को भी वक्त चाहिए खुद को तैयार करने के लिए कभी वक्त का मुंह नहीं देखना चाहिए मैंने निर्माताओं से साफ कह दिया था कि मैं ऐसे मैं खुद को बेहद कीमती मान सकता हूं , लेकिन उसके लिए मुझे उठना होगा और वो काम करके दिखाना होगा जो वाकई बेशकीमती हो मैं जानता हूं मेरी जिंदगी में वो चीजें लौटकर जरूर आएंगी जिन्हें में ठीक से डील नहीं कर पाया .. और ऐसा लगभग हर इंसान के साथ होता है कुछ लोगों को आपकी क्षमताएं और खूबियां पता होती हैं वो केवल इतना करते हैं कि उनमें थोड़ा हेर - फेर कर देते हैं और एक तरह से आपको ताकत प्रदान करते हैं ही बॉन्ड नहीं बनूंगा  मैंने उनसे इजाजत मांगी कि मुझे हर चीज में शामिल करें  मैं नहीं चाहता था कि मैं सेट पर जाऊं और केवल यह बोल के घर आ जाऊं कि  माय नेम इज बॉन्ड जेम्स बॉन्ड  मुझे तो हर चीज के मायने जानने थे मैंने यही किया भी पटकथा से लेकर फिल्मांकन तक बॉन्ड फिल्मों को जाना  तभी शायद यह सफर इस तरह से पूरा हो पाया है । 

टिप्पणियाँ

लोकप्रिय पोस्ट