चाणक्य के दोहे हिंदी में
नमस्कार दोस्तों कैसे हैं आप सभी उम्मीद है ठीक होंगे
चाणक्य कहते हैं
बुद्धिमान व चतुर लोगो का कर्तव्य होता है की वे अपनी संतान को अनेक प्रकार के अच्छे कार्य व्यापार में लगाए ( अच्छे संस्कार दे ) क्योंकि नीति के जानकार लोग और सद्व्यवहार वाले ही कुल में सम्मानित होते है ।
जो माता पिता अपने बच्चों को नही पढ़ाते , वे उनके शत्रु है । ऐसे अनपढ़ बालक सभा के मध्य में उसी प्रकार शोभा नही पाते , जैसे हंसो के मध्य में बगुला शोभा नही पाता ।
अत्यधिक लाड़ प्यार से पुत्र और शिष्य गुणहीन हो जाते है और ताड़ना से गुणी हो जाते है ।
भाव यही है की शिष्य और पुत्र को यदि ताड़ना ( डाट फटकार ) का भय रहेगा , तो वे गलत मार्ग पर नही जायेंगे ।
एक श्लोक , आधा श्लोक , श्लोक का एक चरण , उसका आधा अथवा एक अक्षर ही सही या आधा अक्षर प्रतिदिन पढ़ना चाहिए ।
तात्पर्य हमे रोजाना थोड़ा ही सही अच्छा साहित्य पढ़ना चाहिए ।
दोस्तो कैसी लगी आपको यह जानकारी हमे उम्मीद है आपको पसंद आई होगी दोस्तो इसे ज्यादा से ज्यादा शेयर करे और हमारे चैनल को फॉलो करे धन्यवाद
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें